Upsarg in Hindi – उपसर्ग (Upsarg) – परिभाषा, भेद और उदाहरण
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उपसर्ग (Upsarg)- परिभाषा, भेद और उदाहरण
उपसर्ग (Upsarg) की परिभाषा भेद
यौगिक शब्दों के बारे में बताया जा चुका है कि इसमें दो रूढ़ों का प्रयोग होता है। इसके अलावा उपसर्गों, प्रत्ययों के कारण भी यौगिक शब्दों का निर्माण होता है। नीचे दिए गए उदाहरणों को देखें-
पो + इत्र = पवित्र (संधि के कारण)
(ओ + इ)
ऊपर दिए गए उदाहरणों से स्पष्ट है कि उपसर्ग, प्रत्यय, संधि और समास के कारण नये शब्दों का निर्माण होता है। संधि के बारे में हम जान चुके हैं। अब हम क्रमशः उपसर्ग, प्रत्यय
और समास विधि से शब्द-रचना सीखेंगे-
उपसर्ग
उप + सर्ग = उपसर्ग
‘उप’ का अर्थ है-समीप या निकट और ‘सर्ग’ का-सृष्टि करना।
“उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे।”
जैसे-
- अभि + मान = अभिमान
- प्र + चार = प्रचार आदि।
उपसर्ग की तीन गतियाँ या विशेषताएँ होती हैं-
1. शब्द के अर्थ में नई विशेषता लाना।
जैसे-
- प्र + बल = प्रबल
- अनु + शासन = अनुशासन
2. शब्द के अर्थ को उलट देना।
जैसे-
- अ + सत्य = असत्य
- अप + यश = अपयश
3. शब्द के अर्थ में, कोई खास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द-गिर्द अर्थ प्रदान करना।
जैसे-
- वि + शुद्ध = विशुद्ध
- परि + भ्रमण = परिभ्रमण
उपसर्ग शब्द-निर्माण में बड़ा ही सहायक होता है। एक ही मूल शब्द विभिन्न उपसर्गों के योग से विभिन्न अर्थ प्रकट करता है।
जैसे-
- प्र + हार = प्रहार : चोट करना
- आ + हार = आहार : भोजन
- सम् + हार = संहार : नाश
- वि + हार = विहार : मनोरंजनार्थ यत्र-तत्र घूमना
- परि + हार = परिहार : अनादर, तिरस्कार
- उप + हार = उपहार : सौगात
- उत् = हार = उद्धार : मोक्ष, मुक्ति
हिन्दी भाषा में तीन प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग होता है-
- संस्कृत के उपसर्ग : कुल 22 उपसर्ग
- हिन्दी के अपने उपसर्ग : कुल 10 उपसर्ग
- विदेशज उपसर्ग : कुल 12 उपसर्ग
ये उपसर्ग जहाँ कहीं भी किसी संज्ञा या विशेषण से जुड़ते हैं, वहाँ कोई-न-कोई समास अवश्य रहता है। यह सोचना भ्रम है कि उपसर्ग का योग समास से स्वतंत्र रूप में नये शब्द के निर्माण का साधन है। हाँ, समास के कारण भी कतिपय जगहों पर शब्द-निर्माण होता है।
अव्ययीभाव समास – तत्पुरुष समास
आ + जीवन = आजीवन – प्र + आचार्य = प्राचार्य
प्रति + दिन = प्रतिदिन – प्र + ज्ञ = प्रज्ञ
सम् + मुख = सम्मुख – अति + इन्द्रिय = अतीन्द्रिय
अभि + मुख = अभिमुख
अधि + गृह = अधिगृह
उप + गृह = उपगृह
बहुव्रीहि समास
प्र + बल = प्रबल : प्रकृष्ट हैं बल जिसमें
निर् + बल = निर्बल : नहीं है बल जिसमें
उत् + मुख = उन्मुख : ऊपर है मुख जिसका
वि + मुख = विमुख : विपरीत है मुख जिसका
प्रमुख उपसर्ग, अर्थ एवं उनसे बने शब्द
अर्थ – नवीन शब्द
संस्कृत के उपसर्ग
प्र अधिक, उत्कर्ष, गति, यश, उत्पत्ति, प्रबल, प्रताप, प्रक्रिया, प्रलाप, प्रयत्न,
आगे – प्रलोभन, प्रदर्शन, प्रदान, प्रकोप
परा – उल्टा, पीछे, अनादर, नाश पराजय, – पराभव, पराक्रम, परामर्श, पराकाष्ठा
अप – लघुता, हीनता, दूर, ले जाना – अपमान, अपयश, अपकार, अपहरण, अपसरण, अपादान, अपराध, अपकर्ष
सम् – अच्छा, पूर्ण, साथ – संगम, संवाद, संतोष, संस्कार, समालोचना, संयुक्त
अनु – पीछे, निम्न, समान, क्रम – अनुशासन, अनुवाद, अनुभव, अनुराग, अनुशीलन, अनुकरण
अर्थ – नवीन शब्द
अव – अनादर हीनता, पतन, विशेषता – अवकाश, अवनत, अवतार, अवमान, अवसर, अवधि
निसृ – रहित, पूरा, विपरीत – निस्तार, निस्सार, निस्तेज, निष्कृति, निश्चय, निष्पन्न
नीर – बिना, बाहर, निषेध – निरपराध, निर्जन, निराकार, निर्वाह, निर्गम, निर्णय, निर्मम, निर्यात, निर्देश
दुस्रू – बुरा, कठिन – दुश्शासन, दुष्कर, दुस्साहस, दुस्तर, दुःसह
दूर – कठिनता, दुष्टता, निंदा, हीनता – दुर्जन, दुराचार, दुर्लभ, दुर्दिन।
वि – भिन्नता, हीनता, असमानता, विशेषता – वियोग, विवरण, विमान, विज्ञान, विदेश, विहार
नि – निषेध, निश्चित, अधिकता – निवारण, निपात, नियोग, निवास, निगम, निदान
आ – तक, समेत, उल्टा – आकण्ठ, आगमन, आरोहण, आकार, आहार, आदेश
अति – अत्यधिक – अतिशय, अत्याचार, अतिपात, अतिरिक्त, अतिक्रमण
अधि – ऊपर, श्रेष्ठ, समीपता, उपरिभाव – अधिकार, अधिपति, अध्यात्म, अधिगत, अध्ययन, अधीक्षक, अध्यवसाय
सु – उत्तमता, सुगमता, श्रेष्ठता। – सुगम, सुजन, सुकाल, सुलभ, सुपच, सुरम्य,
उत् – ऊँचा, श्रेष्ठ, ऊपर – उत्कर्ष, उदय, उत्पत्ति, उत्कृष्ट, उत्पात, उद्धार
अभि – सामने, पास, अच्छा, चारों ओर – अभिमुख, अभ्यागत, अभिप्राय, अभिकरण, अभिधान, अभिनव
परि – आस-पास, सब तरफ, पूर्णता – परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिमाण, परिश्रम, परित्यक्त
उप – निकट, सदृश, गौण, सहायता, लघुता – उपवन, उपकूल, उपकार, उपहार, उपार्जन, उपेक्षा, उपादान, उपपत्ति। प्रतिकार, प्रतिज्ञा,
प्रति – विशेषार्थ में – प्रतिष्ठा, प्रतिदान, प्रतिभा, प्रतिमा
हिन्दी के उपसर्ग
अ/अन अभाव, निषेध – अछूता, अचेत, अनमोल, अनपढ़, अनगढ़, अपढ़
क/कु बुराई, नीचता – कुचाल, कुठौर, कपूत
अध आधा – अधपका, अधमरा, अधकचरा
औ/अव हीनता, अनादर, निषेध – अवगुण, औघट, औढ़र
नि निषेध, अभाव – निडर, निकम्मा, निहत्था, निठुर
भर पूरा – भरपेट, भरपूर, भरसक
सुस उत्तमता, साथ – सुडौल, सुजान, सपूत
उन एक कम – उनचास, उनतीस, उनासी
दु कम, बुरा – दुबला
बिन अभाव, बिना – बिनदेखा, बिनबोला
विदेशज उपसर्ग अरबी-फारसी के उपसर्ग
- कम अल्प, हीन – कमजोर, कमसिन
- खुश उत्तमता – खुशबू, खुशहाल, खुशखबरी
अर्थ – नवीन शब्द
गैर निषेध, रहित – गैरहाजिर, गैरकानूनी
दर अन्दर, में – दरअसल, दरहकीकत, दरकार
ना अभाव, रहित – नालायक, नाजायज, नापसंद
ब अनुसार – बनाम, बदौलत
बद हीनता – बदतमीज, बदबू
बर पर – बरवक्त, बरखास्त
बा – बाकायदा, बाकलम
बिला बिना – बिलाअक्ल, बिलारोक
ला अभाव – बेईमान, बेवकूफ, बेहोश
ला अभाव, बिना – लाजवाब, लावारिस, लापरवाह
सर श्रेष्ठ – सरताज, सरपंच, सरनाम
हम साथ – हमदर्द, हमसफर, हमउम्र, हमराज
प्रत्येक – हररोज, हरघड़ी, हरदफा
उपसर्गवत् अव्यय, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण
अ अभाव, निषेध – अधर्म, अज्ञान, अनीति
अन् अभाव/निषेध – अनर्थ, अनंत
अन्तर भीतर – अन्तर्नाद, अन्तर्राष्ट्रीय
का/कु बुरा – कापुरुष, कुपुत्र
चिर बहुत – चिरकाल, चिरंजीव
न अभाव – नगण्य, नपुंसक
पुनर् फिर – पुनर्निर्माण, पुनरागमन
पुरा पहले – पुरातन, पुरातत्त्व
बाहिर/ बाहर – बहिष्कार, बहिर्धार
बहिस् –
स सहित – सपरिवार, सदेह, सचेत
सत् अच्छा – सत्पात्र, सदाचार
सह, साथ – सहकारी, सहोदर
अलम् शोभा, बेकार – अलंकार
आविस प्रकट/बाहर होना – आविष्कार, आविर्भाव
तिरस् तिरछा, टेढ़ा, अदृश्य – तिरस्कार, तिरोभाव
पुरस् सामने – पुरस्कार
प्रादुर् प्रकट होना, सामने आना – प्रादुर्भाव, प्रादुर्भूत
साक्षात् – साक्षात्कार
दो उपसर्गों से निर्मित शब्द
निर् + आ + करण = निराकरण
प्रति + उप + कार = प्रत्युपकार
सु + सम् + कृत = सुसंस्कृत
अन् + आ + हार = अनाहार
सम् + आ + चार = समाचार
अन् + आ + सक्ति = अनासक्ति
अ + सु + रक्षित = असुरक्षित
सम् + आ + लोचना = समालोचना
सु + सम् + गठित = सुसंगठित
अ + नि + यंत्रित = अनियंत्रित
अति + आ + चार = अत्याचार
अ + प्रति + अक्ष = अप्रत्यक्ष
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